The Basic Principles Of shiv chalisa lyricsl
The Basic Principles Of shiv chalisa lyricsl
Blog Article
जय सविता जय जयति दिवाकर!, सहस्त्रांशु! सप्ताश्व तिमिरहर॥ भानु! पतंग! मरीची! भास्कर!...
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥
There isn't a a person as generous when you, Your devotees constantly praise and provide you. The Vedas sing your divine glory, The unfathomable and timeless insider secrets are over and above comprehension.
अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
अर्थ: हे शिव शंकर आप तो संकटों का नाश करने वाले हो, भक्तों का कल्याण व बाधाओं को दूर करने वाले हो योगी यति ऋषि मुनि सभी आपका ध्यान लगाते हैं। शारद नारद सभी आपको शीश नवाते हैं।
अर्थ: हे शिव शंकर भोलेनाथ आपने ही त्रिपुरासुर (तरकासुर के तीन पुत्रों ने ब्रह्मा की भक्ति कर उनसे तीन अभेद्य पुर मांगे जिस कारण उन्हें त्रिपुरासुर कहा गया। शर्त के अनुसार भगवान शिव ने अभिजित नक्षत्र में असंभव रथ पर सवार होकर असंभव बाण चलाकर उनका संहार किया था) के साथ युद्ध कर उनका संहार किया व सब पर अपनी कृपा की। हे shiv chalisa in hindi भगवन भागीरथ के तप से प्रसन्न हो कर उनके पूर्वजों की आत्मा को शांति दिलाने की उनकी प्रतिज्ञा को आपने पूरा किया।
प्रतिदिन शिव चालीसा का पाठ करने से आपके जीवन की कठनाईया दूर होती हैं ।
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन क्षार लगाए॥
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा। ताके तन नहीं रहै कलेशा॥
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
कभी-कभी भक्ति करने को मन नहीं करता? - प्रेरक कहानी